सूर्य ग्रहण के दौरान करें इन मंत्रों का जाप

सूर्य ग्रहण
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हिंदी पंचांग के अनुसार, कल साल का पहला सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है। यह सूर्य ग्रहण दुनिया के कई देशों में दिखाई देगा। वहीं, सूर्य ग्रहण का समय सुबह 7 बज से दोपहर के 12 बजकर 29 मिनट तक है। भारत में सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा। इसके बावजूद ग्रहण के समय सावधानियां जरूर बरतें। ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के दौरान शास्त्र नियमों का पालन अनिवार्य है। इस दौरान पूजा पाठ समेत कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। वहीं, गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा, सामान्य लोगों को भी कई बातों का ख्याल रखना चाहिए। आइए जानते हैं-

-ग्रहण के समय ब्रह्मचर्य नियमों का पालन करें। ये नियम विवाहितों और प्रेम प्रसंग में पड़े लोगों पर भी लागू होता है। अतः सूर्य ग्रहण के समय प्रेम क्रिया से दूर रहें। अगर ग्रहण के दौरान प्रेम प्रसंग में रहते हैं, तो वैवाहिक या लव लाइफ पर बुरा असर पड़ सकता है।

-ग्रहण के समय सुनसान जगहों पर अकेले न जाएं। खासकर, श्मशान या कब्रिस्तान में बिल्कुल न जाएं। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के समय नकारात्मक शक्तियां सक्रिय और हावी रहती हैं। इनके संपर्क में आने से मानसिक या शारीरिक परेशानी हो सकती है।

-शास्त्र में ग्रहण के दौरान प्रतिमा स्पर्श या मंदिर प्रवेश की मनाही है। इसके लिए सूर्य ग्रहण के दौरान या सूतक के समय किसी भी देवी-देवता की प्रतिमा को स्पर्श न करें और न ही मंदिर जाएं। इसके लिए ग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं।

इन मंत्रों के जाप से जातक पर राहु-केतु की बुरी दृष्टि नहीं पड़ती है। साथ ही हर मनोकामना पूरी होती है। आइए, इन मंत्रों के बारे में जानते हैं-

1.

ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,

अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:

2.

ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

3.

विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत

दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥

4.

ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय

जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा।।

5.

तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।

हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥

6.

श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये

प्रसीदप्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:

7.

शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।

विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।

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